ssay on corruption in hindi
or Essay on bharshtachar
or Essay on bharshtachar
भ्रष्टाचार समस्या और समाधान भ्रष्टाचार दो शब्दों के योग से बना है भ्रष्ट+आचार। भ्रष्ट का अर्थ है बुरा और आचार का अर्थ है आचरण। भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ हुआ-वह आचरण जो किसी प्रकार से अनैतिक और अनुचित है।
essay on public participation in promoting integrity and eradicating corruption
हमारे देश में भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।हमारे समाज और देश के राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक एवम् प्रशासनिक आदि क्षेत्र में भ्रष्टाचार का प्रभाव इतना अधिक ही चूका है की इसे निकालना बहुत कठिन हो गया है। भ्रष्टाचार के कुपरिणाम स्वरुप समाज और देश में व्यापक रूप से असमानता और अव्यवस्था का उदय होता है। भ्रष्टाचार के वातावरण में ईमानदारी और सत्यता गायब होने लगती है और इनके स्थान पर बैमानि और झूठ का प्रचार और प्रसार होता हैं। भ्रष्टाचार के द्वारा केवल दुस्थचरित्रता और दुस्थप्रवती को ही बढ़ावा मिलता है।नकली माल बेचना ,काला बाज़ारी,रिश्वत खोरी आदि भ्रष्टाचार के ही रूप है। भ्रष्टाचार की जड़ो को उखाड़ने के लिए यह आवयशक है की इनके दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दे।प्रशासन को भी भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने के लिए अपनी वयवस्था में सार्थक बदलाव करने पड़ेंगे।सभी नागरिको को राष्ट्र के प्रति ईमानदार एवं कर्तवीयनिष्ठ होना चाहिए।इस प्रकार भ्रष्टाचार से देश को मुक्त किया जा सकता है।
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