Essay on Swami Vivekananda views on character development of youth in India in hindi.
भारतीय युवाओं के चरित्र विकास के बारे में स्वामी विवेकानन्द के विचार: एक निबंध।
स्वामी विवेकानन्द जी के 19वीं सदी में दिए गए अमूल्य विचार, भारतीय युवाओं के चरित्र विकास में सदैव ही एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते रहे है। विवेकानन्द जी ने मानव-धर्म की स्थापना के लिए जोर दिया, जिसका उद्देश्य मनुष्य के प्रति सदभावना और परोपकार की भावना का विकास करना है। भारतीय युवाओं को मानव धर्म का महत्व समझते हुए, अपने चरित्र को मानवता के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए।उन्होंने हिन्दू वेदान्त और योग के महत्वपूर्ण ज्ञान को पश्चिमी सभ्यता में प्रसारित किया। स्वामी विवेकानन्द ने सन्यास के पथ पर चल कर मानव सेवा की। उनका मानना था कि सन्यास का वास्तविक उद्देश् मुक्त होकर लोक सेवा करना है। साधारण सन्यासी की तरह एकांत में अपना अमूल्य जीवन व्यर्थ न कर, जन मानुष की सेवा करना चाहिए।
स्वामी विवेकानन्द ने पुरे विश्व में शांतिपूर्ण वातावरण की स्थापना का समर्थन किया था। युवाओँ को शांति और सद्भावना को अपनाना होगा। please also refer Essay on Swami Vivekananda‟s vision for the development of modern India in hindi in other post in this blog.
स्वामी विवेकानन्द जी के 19वीं सदी में दिए गए अमूल्य विचार, भारतीय युवाओं के चरित्र विकास में सदैव ही एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते रहे है। विवेकानन्द जी ने मानव-धर्म की स्थापना के लिए जोर दिया, जिसका उद्देश्य मनुष्य के प्रति सदभावना और परोपकार की भावना का विकास करना है। भारतीय युवाओं को मानव धर्म का महत्व समझते हुए, अपने चरित्र को मानवता के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए।उन्होंने हिन्दू वेदान्त और योग के महत्वपूर्ण ज्ञान को पश्चिमी सभ्यता में प्रसारित किया। स्वामी विवेकानन्द ने सन्यास के पथ पर चल कर मानव सेवा की। उनका मानना था कि सन्यास का वास्तविक उद्देश् मुक्त होकर लोक सेवा करना है। साधारण सन्यासी की तरह एकांत में अपना अमूल्य जीवन व्यर्थ न कर, जन मानुष की सेवा करना चाहिए।
स्वामी विवेकानन्द ने पुरे विश्व में शांतिपूर्ण वातावरण की स्थापना का समर्थन किया था। युवाओँ को शांति और सद्भावना को अपनाना होगा। please also refer Essay on Swami Vivekananda‟s vision for the development of modern India in hindi in other post in this blog.
Essay on Swami Vivekananda views on character development of youth in India in hindi