Essay on Haridwar in hindi
हरिद्वार ,भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित प्राचीन धार्मिक नगर है। गंगा नदी के दाहिने तट पर स्थित ये शहर सम्पूर्ण विश्व मे एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप मे विख्यात है । गंगा नदी, अपने उदगम गोमुख से निकलकर ,हरिद्वार से ही उत्तर भारत के विशाल मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इसीलिए हरिद्वार को गंगाद्वार भी कहा गया है। हिंदु पौराणिक ग्रंथो के अनुसार , समुद्र मंथन से जो अमृत निकला था , उसकी कुछ बुँदे हरिद्वार ,उज्जैन ,नासिक और प्रयाग में गिरी थीं। इसीलिए प्रत्येक 12 वर्ष बाद , हरिद्वार मे कुम्भ मेला का आयोजन किया जाता है। प्राचीन काल मे हरिद्वार को “ मायापुरी” के नाम से भी जाना जाता था। हरिद्वार को उत्तराखंड के चारों धामो का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। धार्मिक स्थल होने के कारण यहाँ साल भर सैलानी एवं हिन्दू भक्तों का जमघट लगा रहता है । भोगोलिक दृष्टि से हरिद्वार, उत्तर मे शिवालिक और दक्षिण मे गंगा नदी के बीच समुद्र तल से करीब 314 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
“हर की पैड़ी” ,हरिद्वार के प्रमुख घाटों मे से एक है। विभिन्न हिन्दू धार्मिक त्योहारो के दोरान इस घाट पर स्नान करने की परंपरा रही है। ऐसी मान्यता है की इस घाट पर गंगा नदी मे डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। संध्या के समय यहाँ प्रतिदिन गंगा नदी की भव्य आरती की जाती है । उसके उपरांत गंगा नदी मे भक्तों द्वारा दीप प्रवाहित किए जाते है । सभी दीपों की ज्योति से पूरा तट जगमगाने लगता है ।
मनसा देवी मंदिर , बिलवा पर्वत पर स्थित है । इस मंदिर का अपना धार्मिक महत्व है। मंदिर परिसर तक पहुँचने के लिए विशेष “ रोप-वे” ट्रॉली का भी प्रबंध किया गया है। साल भर यहाँ देवी के भक्तों का तांता लगा रहता है।
“चंडी देवी मंदिर” , हर की पैड़ी से मात्र 2-3 किलोमीटर की दूरी पर नील पर्वत पर स्थित है । यहाँ पहुँचने के लिए विशेष “ रोप-वे” ट्रॉली लगाई गई है। इस मंदिर का निर्माण कश्मीर के राजा सुचात सिंह ने कराया था। ऊंचाई पर स्थित इस जगह से पूरे हरिद्वार का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
दक्ष महादेव मंदिर एवं सती कुंड भी हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक स्थलों मे से एक है। यह स्थल हरिद्वार से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर पूरे भारत मे प्रसिद्ध है।
भारत माता मंदिर , एक बहुमंजिला मंदिर है , जो कई धर्मो का आस्था स्थल है। “हर की पैड़ी” से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सप्तऋषि स्थल है जहां गंगा नदी कई छोटी छोटी धाराओं मे विभाजित होती है। सैलानिओ को यह दृश्य बहुत मनोरम लगता है। यहाँ एक सप्तऋषि आश्रम भी है।
नील धारा पक्षी विहार मे भी शीत ऋतु मे कई विशेष देशी और विदेशी पक्षी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत “ चीला” भी एक पर्यटन स्थल है जहां जंगली जानवरों को नजदीक से देखा जा सकता है ।गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय भी अपनी प्राचीन शिक्षा पद्धति के लिए प्रसिद्ध है। बाबा राम देव द्वारा स्थापित पतंजलि योगपीठ , भी योगकेन्द्र के रूप मे प्रसिद्ध है।
मनसा देवी मंदिर , बिलवा पर्वत पर स्थित है । इस मंदिर का अपना धार्मिक महत्व है। मंदिर परिसर तक पहुँचने के लिए विशेष “ रोप-वे” ट्रॉली का भी प्रबंध किया गया है। साल भर यहाँ देवी के भक्तों का तांता लगा रहता है।
“चंडी देवी मंदिर” , हर की पैड़ी से मात्र 2-3 किलोमीटर की दूरी पर नील पर्वत पर स्थित है । यहाँ पहुँचने के लिए विशेष “ रोप-वे” ट्रॉली लगाई गई है। इस मंदिर का निर्माण कश्मीर के राजा सुचात सिंह ने कराया था। ऊंचाई पर स्थित इस जगह से पूरे हरिद्वार का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
दक्ष महादेव मंदिर एवं सती कुंड भी हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक स्थलों मे से एक है। यह स्थल हरिद्वार से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर पूरे भारत मे प्रसिद्ध है।
भारत माता मंदिर , एक बहुमंजिला मंदिर है , जो कई धर्मो का आस्था स्थल है। “हर की पैड़ी” से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सप्तऋषि स्थल है जहां गंगा नदी कई छोटी छोटी धाराओं मे विभाजित होती है। सैलानिओ को यह दृश्य बहुत मनोरम लगता है। यहाँ एक सप्तऋषि आश्रम भी है।
नील धारा पक्षी विहार मे भी शीत ऋतु मे कई विशेष देशी और विदेशी पक्षी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत “ चीला” भी एक पर्यटन स्थल है जहां जंगली जानवरों को नजदीक से देखा जा सकता है ।गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय भी अपनी प्राचीन शिक्षा पद्धति के लिए प्रसिद्ध है। बाबा राम देव द्वारा स्थापित पतंजलि योगपीठ , भी योगकेन्द्र के रूप मे प्रसिद्ध है।
Essay on Haridwar in Hindi