Essay on The Changing Role of Citizenship from Pre-Independent India to the Present in hindi.
स्वतन्त्रता पूर्व भारत से वर्तमान तक नागरिकता की बदलती भूमिका पर एक निबंध।
स्वतन्त्रता पूर्व भारत से वर्तमान तक नागरिकता की बदलती भूमिका पर एक निबंध।
भारत की स्वन्त्रता के साथ साथ नागरिकता की भूमिका में भी बदलाव आये । पराधीन भारत में नागरिको का मुख्य लक्ष्य देश की स्वतन्त्रता थी वही दूसरी ओर , स्वतंत्रता के बाद सुशासन और संविधान की स्थापना में योगदान ही नागरिको का उद्देश्य हुआ। 200 साल के बिर्टिश शासन से मुक्त होकर एक लोकतन्त्र राष्ट्र का निर्माण ही देश का लक्ष्य था। परन्तु अगर वर्तमान की बात करें तो नागरिकता की भूमिका बदल रही है।पहले नागरिकों का केवल एक ही धयेय था की अंग्रेजों से मुक्ति। परन्तु अब नागरिकों का रुख सम्पूर्ण विकास के ओर मुड़ चला है। आज मोलिक नागरिक सुबिधाओं के लिए अपनी आवाज उठाना भी , एक महत्वपूर्ण कार्य है।
वास्तव में देखा जाए तो नागरिकों की भागीदारिता हमेशा ही महत्वपूर्ण रही है। चाहे वह महात्मा गांधी के सत्याग्रह का समय हो या वर्तमान में अन्ना हजारे का भृष्टाचार बिरोधी आंदोलन ।Essay on The Changing Role of Citizenship from Pre-Independent India to the Present in hindi.