जीवन का सच
truth of life in hindi
इस प्रश्न का प्रत्यक्ष और सीधा उत्तर प्राप्त करना लगभग असंभव है। पृथ्वी जो कि ब्रह्मांड का एक अत्यंत सूक्ष्म हिस्सा है, उस में जीवन का होना एक पहेली जैसा है। जीवन कैसे उत्पन्न हुआ और एक जीवित कोशिका से वर्तमान मनुष्य का रूप कैसे आया , इसका सटीक उत्तर नही पाया जा सकता, केवल सम्भावनाये और अवधारणाये ही लगाई जा सकती हैं कि ऐसा कुछ हुआ होगा।
शायद जीवन की उत्पत्ति में ही जीवन के सच को समझा जा सके कि जीवन की उत्पत्ति हुई क्यों और कैसे? क्या होता अगर जीवन न होता धरती पर तो? सब कुछ होता ब्रह्माण्ड में, दिन रात सर्दी गर्मी ,लेकिन उसे कोई देखने वाला, महसूस करने वाला इस दुनिया में न होता। एक अनंत अकेलापन होता।
truth of life in hindi
इस प्रश्न का प्रत्यक्ष और सीधा उत्तर प्राप्त करना लगभग असंभव है। पृथ्वी जो कि ब्रह्मांड का एक अत्यंत सूक्ष्म हिस्सा है, उस में जीवन का होना एक पहेली जैसा है। जीवन कैसे उत्पन्न हुआ और एक जीवित कोशिका से वर्तमान मनुष्य का रूप कैसे आया , इसका सटीक उत्तर नही पाया जा सकता, केवल सम्भावनाये और अवधारणाये ही लगाई जा सकती हैं कि ऐसा कुछ हुआ होगा।
शायद जीवन की उत्पत्ति में ही जीवन के सच को समझा जा सके कि जीवन की उत्पत्ति हुई क्यों और कैसे? क्या होता अगर जीवन न होता धरती पर तो? सब कुछ होता ब्रह्माण्ड में, दिन रात सर्दी गर्मी ,लेकिन उसे कोई देखने वाला, महसूस करने वाला इस दुनिया में न होता। एक अनंत अकेलापन होता।
जीवन की प्रवत्ति आगे बढ़ने वाली अर्थात विकासशील होती है। एक कोशिका से एक इंसान तक का सफ़र एक विकास ही है। मनुष्य जीवन की अगर बात की जाए तो, खुश होना, आनंद का अनुभव करना ही आगे बढ़ना है।
दुःख इंसान को नष्ट करता है और ख़ुशी इंसान को स्वस्थ रखती है आगे विकसित करती है।
यह जरुरी नहीं कि ख़ुशी रुपये पैसे से ही आये, ख़ुशी बिना धन के भी प्राप्त की जा सकती है। एक बड़ी खुशी से बेहतर हैं कई छोटी छोटी खुशियाँ।
जीवन को जीना और खुश रहना ही जीवन का मूल उद्देश् है।दरअसल जीवित रहना ही प्राणियों के जीवन का सच है। प्राणी चाहे वह जानवर हो या इंसान या फिर कोई पेड़पोधा ,जीवन को जीना ही जीवन की सच्चाई है। एक पौधा, एक बेल ,क्यों हमेशा सूरज की रोशनी की दिशा में फलते फूलते हैं?
क्यों नदियों के आसपास बड़ी बड़ी सभ्यताएं पनपती हैं? क्योंकि सभी का मूल उद्देश्य जीवन को बनाये रखना है।
वर्तमान आधुनिक मानवीय युग की बात की जाए तो जीवन के मूल उदेशय के बारे में हम गहराई से नहीं सोच रहे। हम ऐशोआराम भौतिक वस्तुओं की ओर दौड़ रहे हैं। हम सभी एक भौतिक दुनिया में कैद हो गए है जहाँ अगर इलेक्ट्रिसिटी , इंटरनेट, टेलीविजन , नहीं हो तो हम शायद जीवन को जीने की सोच ही न पाएं।
ऐसा नहीं है कि हम सभी जंगल में चले जाएँ या फिर पहाड़ो पर रहने लगे। परन्तु हमें जीवन की सच्चाई , उसके मूल उदेशय पर भी विचार करना होगा।
वातावरण, जलवायु सभी एक लंबे अंतराल के बाद बदलते रहते है। जीवन भी उसी प्रकार अपने स्वरूप बदलता रहता है लेकिन यह बदलाव कई सेकड़ो सालों में आते हैं। मानव सभ्यता को भी इस बदलाव के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए , न की इस से दूर जाना चाहिए।
दुःख इंसान को नष्ट करता है और ख़ुशी इंसान को स्वस्थ रखती है आगे विकसित करती है।
यह जरुरी नहीं कि ख़ुशी रुपये पैसे से ही आये, ख़ुशी बिना धन के भी प्राप्त की जा सकती है। एक बड़ी खुशी से बेहतर हैं कई छोटी छोटी खुशियाँ।
जीवन को जीना और खुश रहना ही जीवन का मूल उद्देश् है।दरअसल जीवित रहना ही प्राणियों के जीवन का सच है। प्राणी चाहे वह जानवर हो या इंसान या फिर कोई पेड़पोधा ,जीवन को जीना ही जीवन की सच्चाई है। एक पौधा, एक बेल ,क्यों हमेशा सूरज की रोशनी की दिशा में फलते फूलते हैं?
क्यों नदियों के आसपास बड़ी बड़ी सभ्यताएं पनपती हैं? क्योंकि सभी का मूल उद्देश्य जीवन को बनाये रखना है।
वर्तमान आधुनिक मानवीय युग की बात की जाए तो जीवन के मूल उदेशय के बारे में हम गहराई से नहीं सोच रहे। हम ऐशोआराम भौतिक वस्तुओं की ओर दौड़ रहे हैं। हम सभी एक भौतिक दुनिया में कैद हो गए है जहाँ अगर इलेक्ट्रिसिटी , इंटरनेट, टेलीविजन , नहीं हो तो हम शायद जीवन को जीने की सोच ही न पाएं।
ऐसा नहीं है कि हम सभी जंगल में चले जाएँ या फिर पहाड़ो पर रहने लगे। परन्तु हमें जीवन की सच्चाई , उसके मूल उदेशय पर भी विचार करना होगा।
वातावरण, जलवायु सभी एक लंबे अंतराल के बाद बदलते रहते है। जीवन भी उसी प्रकार अपने स्वरूप बदलता रहता है लेकिन यह बदलाव कई सेकड़ो सालों में आते हैं। मानव सभ्यता को भी इस बदलाव के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए , न की इस से दूर जाना चाहिए।
जीवन में खुश रहिये और अपने आसपास के जीवन को समझिये।
जीवन का सच
truth of life in hindi.
जीवन का सच
truth of life in hindi.