Eassy on Mahatma Gandhi and Africa in hindi
महात्मा गाँधी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 21 वर्ष दक्षिण अफ्रीका में व्यतीत किये और वहीँ उनके राजनीतिक विचारों, नैतिकता और नेतृत्व का विकास हुआ ।
सन् 1893 में महात्मा गाँधी ने एक भारतीय फर्म, अब्दुल्ला एंड कम्पनी की तरफ से नेटल ,दक्षिण अफ्रीका में नौकरी स्वीकार की।
वे प्रिटोरिया शहर के मुस्लिम भारतीय व्यापारियों के लिए एक कानूनी प्रतिनिधि के रूप में काम करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए थे। वे उस समय उनकी उम्र मात्र 24 साल थी। सन् 1914 तक महात्मा गाँधी अफ्रीका में रह कर वँहा के लोगो के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे।
गांधीजी भारत से अफ्रीका की यात्रा करते समय अंग्रेजों के दुर्व्यवहार से रूबरू हुए जब उन्हें प्रथम श्रेणी में यात्रा करने के लिए ट्रेन से उतार दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में भी उन्होंने भारतीयों के प्रति ब्रिटिश शासकों की अमानवता और हृदयहीनता देखी। वहां उन्होंने रंगभेद की गंभीर समस्या का सामना किया। अंग्रेजों के अनुचित व्यवहार से व्यथित होकर उन्होंने इस असमानता के प्रति आवाज उठाई।
सन् 1906 में जब ट्रांसवाल कानून पारित हुआ तब गांधीजी ने इस कानून का विरोध किया। इसके लिए गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन चालु किया । इससे उन्होंने वहां के पीड़ित और शोषित भारतीयों में स्वतंत्रता की चेतना को जगाया। इसी सिलसिले में गांधीजी ने अफ्रीका में भारतीय कोंग्रेस की स्थापना कि ताकि ज़्यादा से ज़्यादा भारतीय एक जुट हो सकें।
अश्वेतों को दक्षिण अफ्रीका में मतदान का अधिकार प्राप्त करने के बाद, महात्मा गांधी एक राष्ट्रीय नायक के रूप में लोकप्रिय हुए।
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