Essay on Pandit Deendayal Upadhyaya : a great advocate of indigenous economics & administration models in hindi.
दीनदयाल उपाध्याय आदर्शवाद के समर्थक और एक उत्तम सामाजिक विचारक, अर्थशास्त्री, शिक्षाशास्री, राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार थे।
दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद की राजनीतिक धारणा का प्रसार किया।
दीनदयाल उपाध्याय ने कहा कि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र ,व्यक्तिवाद, लोकतंत्र, समाजवाद, साम्यवाद या पूंजीवाद जैसे पश्चिमी अवधारणाओं पर निर्भर नहीं कर सकता। उन्होंने आधुनिक प्रौद्योगिकी का स्वागत किया लेकिन उनका मानना था कि इसे भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप रूपांतरित भी किया जाना चाहिए।
दीनदयालजी स्वदेशी अर्थशास्त्र और प्रशासनिक मॉडल के एक महान समर्थक थे। उन्होंने एक राष्ट्रीय क्षेत्र ; एक तरह की सार्वजनिक-निजी भागीदारी की बात की थी जिसमे स्व-रोजगार और व्यक्तिगत उद्यमशीलता की सुविधा होगी ।उन्होंने रोजगार, बुनियादी ढांचे, कृषि उत्पादन, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने में नाकाम रहने के लिए सभी पञ्च वर्षीय योजना की आलोचना की । दीनदयाल उपाध्याय ने कहा कि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र ,व्यक्तिवाद, लोकतंत्र, समाजवाद, साम्यवाद या पूंजीवाद जैसे पश्चिमी अवधारणाओं पर निर्भर नहीं कर सकता।। वे उद्यमशीलता के लिए अवसर और आर्थिक स्वतंत्रता के पक्षधर थे । उन्होंने स्थानीय समुदायों को सशक्त करने के लिए अर्थव्यवस्था के विकेन्द्रीकरण पर जोर दिया।