Essay on Pandit Deendayal Upadhyaya in hindi
पंडित दीनदयाल उपाध्याय (25 सितंबर 1916 - 11 फ़रवरी 1968) एक भारतीय दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, इतिहासकार, पत्रकार और राजनीतिक विद्वान थे। उनका जन्म चंद्रभान(अब दीनदयाल धाम )नामक गांव,फराह नगर जो कि मथुरा जिला के निकट स्थित है ,में 25 सितम्बर 1916 को हुआ था। छोटी उम्र में ही उनके माता पिता का देहांत हो गया और उनकी परवरिश उनके मामा ने की। सीकर , कानपुर ,आगरा और प्रयाग में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। 1937 में सनातन कॉलेज कानपुर में, जब वह एक छात्र थे , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ संपर्क में आये। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक, केबी हेडगेवार, ने उन्हें बौद्धिक चर्चा में संलग्न किया। उन्होंने 1942 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में पूर्णकालिक काम करने के लिए खुद को समर्पित किया।
दीनदयाल उपाध्याय आदर्शवाद के समर्थक और एक उत्तम सामाजिक विचारक, अर्थशास्त्री, शिक्षाशास्री, राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार थे।
उन्होंने 1940 के दशक में लखनऊ से एक मासिक मासिक पत्रिका राष्ट्र धर्म शुरू किया जिसका उद्देश्य राष्ट्रवाद की विचारधारा का प्रसार करना था। बाद में उन्होंने एक साप्ताहिक पांचजन्य और एक दैनिक स्वदेश भी शुरू किया ।
वे भारतीय जन संघ के,उत्तर प्रदेश शाखा के महासचिव के रूप में नियुक्त हुए, और बाद में अखिल भारतीय महासचिव भी रहे।
दीनदयाल उपाध्याय आदर्शवाद के समर्थक और एक उत्तम सामाजिक विचारक, अर्थशास्त्री, शिक्षाशास्री, राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार थे।
उन्होंने 1940 के दशक में लखनऊ से एक मासिक मासिक पत्रिका राष्ट्र धर्म शुरू किया जिसका उद्देश्य राष्ट्रवाद की विचारधारा का प्रसार करना था। बाद में उन्होंने एक साप्ताहिक पांचजन्य और एक दैनिक स्वदेश भी शुरू किया ।
वे भारतीय जन संघ के,उत्तर प्रदेश शाखा के महासचिव के रूप में नियुक्त हुए, और बाद में अखिल भारतीय महासचिव भी रहे।
11 फ़रवरी 1968 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय का देहांत हो गया।
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