Sunday, October 4, 2015

Essay on pratahkaal ka drishya

Essay on pratahkaal ka drishyaसुबह का दृश्य बड़ा ही मन मोहक होता है। चारों ओर शुद्ध व् शीतल वायु होने के कारण एक स्फूर्ति का अनुभव होता है । शांत और ठंडा वातवरण मन मे उमंग और आनंद भर देता है । सूरज भी अपनी चंचल लाल किरणों के साथ धीरे धीरे उदित होता है और पूरी धरती का रंग बदलने लगता है । सितारे भी आसमान मे से धीरे धीरे गायब होने लगते है । अंधेरा मानो अपने आप डर कर भागने लगता है। पक्षी अपने घोसलों में से निकल कर अपनी अपनी मधुर आवाज मे गाने लगते है । मुर्गा बांग देकर सब को नींद से उठाने का प्रयास करता है। बाग मे भी फूल खिल जाते है और चारो तरफ  भीनी खुशबू फ़ेल जाती है। इस तरह प्रातःकाल का दृश्य बहुत सुंदर और मन भावन होता है ।
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